धर्म के साथ हिंदू धर्म में देवी-देवताओं से जुड़ी पूजन विधि के अतिरिक्त कई तरह के मंत्र आदि बताए गए हैं। कहा जाता है कि इन मंत्रों का देवी-देवता के दिन वार के अनुसार जप करना अधिक लाभदायक माना जाता है। परंतु इसका ये अर्थ बिल्कुल नहीं है कि इनका जप केवल इन्हें समर्पित दिन को ही करना अनिवार्य है। बल्कि धार्मिक शास्त्रों में कहा गया है कि भगवान का स्मरण करने के लिए किसी शुभ घड़ी का इंतजार करना जरूरी नहीं होता। बात करें मां दुर्गा की तो इन्हें शास्त्रों में शक्ति औ कामना पूर्ति की देवी कहा गया है। कहा जाता है इनकी आराधना से व्यक्ति की समस्त प्रकार की मनोकामनाएं तो पूरी होती ही हैं, साथ ही साथ शत्रुओं आदि से राहत मिलती है।

देवी भागवत पुराणम में बताया गया है कि प्राचीन समय में जब देवी शक्ति ने महिषासुर का वध कर उसका अंत किया तब सभी देवताओं ने मिलकर उनकी पूजा-अर्चना की और देवी से पूछा कि कोई ऐसा उपाय बताए जिन्हें कलियुग में करने वाला जातक अपने जीवन में संकटों से आसानी राहत पा सके। मान्यताओं के अनुसार देवताओं के अनुरोध करने पर तब देवी ने बताया कि जो भी व्यक्ति घोर संकट के समय निम्न दिए गए उनके 32 नामों की माला रूपी मंत्र का जप करेगा मैं स्वयं उसके समस्त संकटों को दूर करूंगी।

तो आइए बिल्कुल भी देर न करते हुए जानते हैं कौन से हैं वो 32 नाम, जिनका उच्चारण करने वाला व्यक्ति अपनी जीवन की परेशानियों से मुक्ति के साथ-साथ देवी दुर्गा का साथ प्राप्त कर सकता है।

दुर्गा दुर्गार्तिशमनी दुर्गापद्विनिवारिणी।
दुर्गमच्छेदिनी दुर्गसाधिनी दुर्गनाशिनी ।।
दुर्गतोद्धारिणी दुर्गानिहन्त्री दुर्गमापहा।
दुर्गमज्ञानदा दुर्गदैत्यलोकदवानला ।।
दुर्गमा दुर्गमालोका दुर्गमात्मस्वरुपिणी ।
दुर्गमार्गप्रदा दुर्गमविद्या दुर्गमाश्रिता ।।
दुर्गमज्ञानसंस्थाना दुर्गमध्यानभासिनी ।
दुर्गमोहा दुर्गमगा दुर्गमार्थंस्वरुपिणी ।।
दुर्गमासुरसंहन्त्री दुर्गमायुधधारिणी ।
दुर्गमाङ्गी दुर्गमता दुर्गम्या दुर्गमेश्र्वरी ।।
दुर्गभीमा दुर्गभामा दुर्गभा दुर्गदारिणी ।
नामावलिमिमां यस्तु दुर्गाया मम मानवः ।।
पठेत् सर्वभयान्मुक्तो भविष्यति न संशयः ।।

ज्योतिष विशेषज्ञ बताते हैं कि जो व्यक्ति नियमित रूप से देवी के इन 32 नामों के मंत्रों का जप करता है देवी सदैव उनके साथ होती हैं और हर विपत्ति से अपने भक्तों की रक्षा करती है। इसके अलावा बता दें दुर्गा सप्तशती में भी देवी के इन 32 नामों का उल्लेख और इसके जप का विधान बताया गया है जो दुर्गा द्वात्रिंशन्नाममाला के नाम से है।

दुर्गा सप्तशती के अनुसार घोर संकट और विपत्ति में घिरे हुए मनुष्य को 1000 बार अथवा लाख बार इस 32 नाम के स्तोत्र का पाठ करना चाहिए। तो वहीं ज्योतिष ये भी बताते हैं कि शहद और घी मिश्रित सफेद तिल से देवी के इन नामों के साथ एक लाख बार हवन करने वाला व्यक्ति अपने जीवन की बड़ी से बड़ी विपत्तियों को पार कर लेता है।