बिलासपुर । शहर के चिल्हाटी, मोपका के सरकारी जमीन को कूटरचना कर रिक्शा चालक के नाम कर दिया  गया है. सरकारी जमीन की बिक्री भी शुरू कर दी गई है. इस मामले में शिकायत के बाद पुलिस ने रिक्शा चालक को गिरफ्तार कर लिया. मामले में कई बड़े भूमाफियाओं की संलिप्तता होने की आशंका पर पुलिस ने जांच कर अन्य आरोपियों की भूमिका की जांच शुरू कर दी है.
बिलासपुर में भूमाफिया का खेलजिला प्रशासन और पुलिस को पिछले दिनों एक शिकायत मिली थी. इसमें यह बताया गया था कि चिल्हाटी, मोपका, लगरा की करोड़ों रुपए कीमत की सरकारी, निस्तारित, घास भूमि और अन्य लोगों की जमीन को फर्जी तरीके से और दस्तावेजों के साथ छेड़छाड़ करके हेमू नगर में रहने वाले रिक्शा चालक भोंदूदास के नाम दर्ज कर दी गई है. उससे मुख्तारनामा लेकर भेज भी दिया गया है.मामले की जांच की गई
मामले की जांच की गई तो पता चला कि भोंदूदास और अन्य के द्वारा ही फर्जीवाड़ा किया गया है. पुलिस ने रिक्शा चालक भोंदूदास को गिरफ्तार कर लिया है. मामले में पूरा खेल शहर के बड़े भू-माफिया द्वारा खेला जा रहा है. यह पूरा मामला अधिकारी, भू-माफिया और रिक्शा चालक के द्वारा खेला गया है. हालांकि मामले में रिक्शा चालक केवल एक मोहरा है जबकि इसके पीछे बड़े-बड़े भू-माफिया और राजस्व अधिकारियों की भूमिका संदिग्ध बताई जा रही है. सभी ने मिलकर करोड़ों की जमीन को रिक्शा चालक के नाम कर दिया गया है. उसके माध्यम से पावर ऑफ अटॉर्नी लेकर जमीन बेची भी जा रही है, हालांकि इस मामले में रिक्शा चालक को भी हर रजिस्ट्री के पीछे उसके बैंक अकाउंट में पैसा जमा किया जाता है, ये पैसा सेल्फ डिपॉजिट या अन्य माध्यम से किया जाता है.क्या है पूरा मामला
कुछ दिन पहले किसी ने जिला प्रशासन और पुलिस को शिकायत के माध्यम से बताया कि बिलासपुर के हेमुनागर के रिक्शा चालक भोंदू दास के नाम चिल्हाटी, मोपका और लगरा की करोड़ों रुपए के सरकारी और कुछ निजी जमीनों को सरकारी दस्तावेजों में छेड़छाड़ कर उसके नाम कर दिया गया है. जमीन घोटाले में करोड़पति रिक्शा चालक भोंदू दास ने साल 1976 में जिससे जमीन खरीदने का दावा किया है. उसकी मौत 1974 में ही हो चुकी थी. लेकिन साल 2015 में इन जमीनों के नामांतरण और रिकॉर्ड के लिए फाइल राजस्व कार्यालय पहुंची तो बिना जांच किये उस समय तहसीलदार रहे संदीप ठाकुर ने साइन भी कर दिया. जमीन का नामांतरण होने के बाद इसका पावर ऑफ अटॉर्नी किसी ने अपने नाम कर लिया.इसके बाद उस भूमाफिया ने जमीनों को बेचने का काम शुरू कर दिया. इस मामले में मिली शिकायत के बाद जिला प्रशासन के निर्देश के बाद पुलिस ने एफआईआर कर जांच कमेटी गठित कर जांच शुरू कर दी है.
 जमीन घोटाले के मामले में जिस शिकायतकर्ता ने जिला प्रशासन को शिकायत की थी, उसने प्रदेश के मुख्यमंत्री और बिलासपुर रेंज के आईजी को भी शिकायत की थी. शिकायत में बताया गया था कि भोंदूदास के नाम पर मोपका और चिल्हाटी में कई एकड़ सरकारी जमीन दर्ज थी. इस पर प्लॉटिंग भी शुरू हो गई. मामले की शिकायत के बाद ढ्ढत्र रतनलाल डांगी ने जांच बिठा दी. जांच के बाद मामले की परत खुलने लगी तो अचानक से तत्कालीन तहसीलदार संदीप ठाकुर ने मामले में अपनी तरफ से एफआईआर करवाई. सोमवार को रिक्शा चालक भोंदूदास को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया, जबकि इस पूरे प्रकरण में घोटाले की एफआईआर वर्तमान अफसर को दर्ज करानी चाहिए थी. लेकिन वर्तमान अफसर की जगह पूर्व में तहसीलदार रहे, संदीप ठाकुर ने मामले पर खुद को बचाने एफआईआर दर्ज कराई है.
आखिर कौन है मास्टरमाइंड
करोड़ों की सरकारी और निजी जमीन रिक्शा चालक के नाम है. जबकि पूरे मामले में इस कृत्य को रिक्शा चालक अंजाम नहीं दे सकता. पूरे मामले का मास्टरमाइंड कौन है, इसका जवाब पुलिस के पास नहीं है. इस मामले में एसएसपी पारुल माथुर का कहना है कि जमीनों की जब-जब रजिस्ट्री हुई है तब-तब रिक्शा चालक भोंदूदास के बैंक एकाउंट में सेल्फ डिपॉजिट और अन्य माध्यम से पैसे जमा हुए है. इस मामले में एसएसपी ने कहा कि वो इस पूरे मामले के हर पहलू की जांच करवा रहे हैं. साथ ही रिक्शा चालक भोंदूदास से पूछताछ में दो अन्य का नाम बताया है.मामले में उन दो अन्य की भूमिका की भी तलाश की जा रही है. पूरे मामले को गंभीरता से जांच करने की बात कही है.
मास्टरमाइंड भूमाफिया की संलिप्तता उजागर
पुलिस और जिला प्रशासन लगातार इस मामले की जांच कर रही है. लेकिन कुछ भू-माफिया जो इस मामले से जुड़े हुए हैं. कहीं ना कहीं ऊंची पहुंच और राजनीति सोर्स रखते हैं. यही कारण है कि पुलिस भी सीधे किसी पर हाथ डालने में कतरा रही है. इस मामले में जांच भले ही की जा रही है. लेकिन कहीं ना कहीं मास्टरमाइंड भूमाफिया की संलिप्तता को उजागर करने में पुलिस भी कहीं संकोच तो नहीं कर रही है.