ओपीएम/ अमलाई।एशिया की दूसरी सबसे बड़ी कागज बनानें की कंपनी ओरियंट पेपर मिल अमलाई में बुधवार सुबह बड़ा हादसा‌ हो गया। इस हादसे में कार्यरत कर्मचारी रविंद्र त्रिपाठी की मौत हो गई वहीं दो कर्मचारी घायल हो गये जिन्हें उपचार के लिये स्थानीय ओपीएम अस्पताल ले जाया गया। सूत्रों नें बताया कि हादसे की जानकारी लगते ही ओपीएम प्रबंधन नें आनन फानन में जहां एक तरफ रेस्क्यू शुरु किया वहीम दूसरी तरफ फैक्ट्री के मुख्य द्वारा पर स्थानीय व्यक्तियों सहित जनप्रतिनिधियों, नेताओं मीडियाकर्मियों पर रोक लगाकर अंदर के कर्मचारियों को बाहर कर दिया। कुछ कर्मचारियों नें नाम न लिखनें की शर्त पर बताया कि इस घटना के पीछे प्रबंधन की लापरवाही स्पष्ट रुप से सामनें हैं, जिससे प्रबंधन अब दुर्घटना बताकर पल्ला झाड़नें का प्रयास कर रही है। गौर करनें वाली बात यह भी है कि बीते कुछ समय में लगातार यहां घटनाओं का ईजाफा हुआ है जिसके बाद भी ओपीएम प्रबंधन इस दिशा में सतर्क नजर नहीं आया।

क्या है पूरी घटना

दरअसल ओपीएम फैक्ट्री के अंदर कागज बनानें की एक वृहद प्रक्रिया हैं जिसमें कई विशालकाय मशीनों का प्रयोग होता हैं, इन मशीनों का कई अलग अलग सेक्शन हैं जिसमें सैकडों कर्मचारी व ठेका श्रमिक मजदूर भी कार्यरत हैं। जानकारों नें बताया कि इसी प्रक्रिया के अंदर लकड़ी से तैयार किये गये पल्प को एक पाइप के माध्यम से टैंक में स्टोर किया जाता हैं जहां से कागज बनानें की प्रक्रिया आगे बढ़ती हैं। स्टोर पल्प काफी गर्म होता हैं और इसका तापमान लगभग 60 डिग्री तक होता हैं। कुछ कर्मचारियों नें कहा कि जिस टैंक में पल्प स्टोर किया जा रहा था उस टैंक तक आनें वाली पाईप और टैंक दोनों को मरम्मत कि आवश्यकता थी, लेकिन इसे नजरअंदाज किये बिना उसमें क्षमता से ज्यादा पल्प भरनें का प्रयास किया गया जिसके दबाव में वह पाइप और टैंक क्षतिग्रस्त हो गया और इसकी चपेट में वहां काम कर रहे कुछ कर्मचारी आ गये, जिनमें से कुछ नें तो किसी तरह निकलकर अपनी जान बचा ली लेकिन रविंन्द्र त्रिपाठी बुरी तरह गर्म पल्प में झुलस गये और उनकी मौत हो गई। घटना की जानकारी के बाद मौके पर घटना स्थल पर घंटों की गर्म पल्प के बीच घंटों तक मजदूरों की खोजबीन की गई, और घंटों बाद इस बात कि पुष्टि हो सकी कि मृतक एक ही हैं। 

जमकर हुआ हंगामा, छावनी में तब्दील हुई फैक्ट्री 

स्थानीय स्तर से लेकर मजदूर संगठन और कर्मचारियों के बीच भी बीते लगभग एक वर्ष पूर्व ओपीएम जीएम (एच आर)  व महाप्रबंधक के रुप में पदस्थ आलोक श्रीवास्तव के मनमानी रवैये को लेकर स्थानीय स्तर पर आक्रोश हैं। बताया जाता हैं कि समूचे ओपीएम कारखानें के अंदर होनें वाले कार्यों में इनका तानाशाही रवैया हावी हैं। मनमानी की तर्ज पर काम और मेटनेंस से लेकर फैक्ट्री में इनके कार्यकाल में जमकर भ्रष्टाचार हो रहे हैं। अपनें चंद करीबियों के साथ मिलकर आलोक न सिर्फ बिडला जैसी नामी कंपनी की साख पर बट्टा लगानें पर आमादा हैं बल्कि इनके कार्यकाल में अधिकारी, कर्मचारी सहित स्थानीय जनप्रतिनिधियों के बीच भी गहरी खाई निर्मित हो गई हैं। घटना के बाद स्थानीय लोगों सहित जनप्रतिनिधियों का आक्रोश फूट पड़ा और सैंकडों लोगों नें ओपीएम फैक्ट्री गेट के बाहर जमकर हंगामा किया। उन्होनें मांग करते हुये कहा कि ओपीएम प्रबंधन के दोषियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज हो और पीडित परिजनों को मौके स्थल पर मुआवजा व अन्य कंपनी एक्ट के तहत मिलनें वाली सुविधाओं पर लिखित कार्यवाही हो। इतना ही नहीं बिडला ग्रुप तत्काल प्रभाव से लापरवाह महाप्रबंधक आलोक श्रीवास्तव पर कार्यवाही करें और इनका यहां से कहीं अन्य स्थान पर स्थानांतरण किया जाये।

घंटों की मश्क्कत के बाद मामला हुआ शांत

एक तरफ जहां परिजन सहित स्थानीय जनप्रतिनिधि ओपीएम के गेट पर एंबूलेंस में शव रखकर न्याय की गुहार लगाते रहे वहीं प्रबंधन के आला अधिकारी इस दिशा में गैरजिम्मेदाराना बयान देते हुये इसे एक दुर्घटना और सन् 1962 से संचालित पुरानी कंपनी का हवाला देकर अपना बचाव करते नजर आये।

करोड़ों का मेंटनेंस फंड, भ्रष्टाचार के भी आरोप

स्थानीय स्तर पर काम करनें वाले कुछ लोगों से जब हमने अंदरखानें का सच और वस्तुस्थिति को जाननें का प्रयास किया तो कुछ लोगों नें बताया कि फैक्ट्री में हमेशा मेंटनेंस का कार्य संचालित रहता हैं, लेकिन जीएम आलोक श्रीवास्तव के आनें के बाद इस दिशा में कोई विशेष ध्यान नहीं दिया जा रहा, फैक्ट्री में ज्यादा प्रोडक्शन लेकर वाहवाही लूटनें की दौड़ में जीएम इस दिशा में कोई विशेष ध्यान नहीं दे रहें, मेंटनेंस के नाम पर करोड़ों रुपये का फंड तो रिलीज कराया जा रहा है लेकिन जो ठेकेदार वर्षों से इस फैक्ट्री में मेंटनेंस आदि के काम में निपुण हैं उन्हें दरकिनार कर अपनें निजी लोगों को लाकर कार्य कराया जा रहा है, ताकि उनका लाभ हो सके, इससे कंपनी को जहां लाखों करोड़ों का नुकसान हो रहा है वहीं दूसरी तरफ कंपनी के कल पुर्जे की भी मरम्मत नहीं हो रही और भ्रष्टाचार की जद में इस तरह के हादसे सामनें आ रहे हैं।

मुआवजा और नौकरी के आश्वासन को बाद शांत हुये परिजन

घटना के बाद घंटों चले हंगामें के बाद प्रबंधन जहां अपनी हठ पर थमा रहा वहीं स्थानीय आक्रोश और प्रशासन के हस्ताक्षेप के बाद प्रबंधन नें परिजनों को मुआवजे की राशि, तत्कालीन आर्थिक सहायता राशि व परिजन के परिवार में एक को  योग्यतानुसार फैक्ट्री में अनुकंपा नियुक्ति देनें का लिखित अनुबंध किया, और मामला शांत हो सका।

तो क्या बिडला नहीं लेगी एक्शन

इस घटना के बाद जहां ओपीएम प्रबंधन की लापरवाही पर सवाल खडे हुये हैं वहीं स्थानीय आक्रोश और आरोपों में कंपनी में पदस्थ जीएम एच आर आलोक श्रीवास्तव की विवादित कार्यशैली की भी पोल खुली हैं, एक तरफ वर्षों पुरानी इस कंपनी को साख को जहां बिडला ग्रुप  के सैकडों अधिकारियों नें एकजुटता के साथ मिलकर बनाया उस पर गहरा आघात लगा हैं। ऐसे में आलोक श्रीवास्तव जैसे अधिकारियों के मनमानी रवैया इस तरह की घटनाओं के बाद भी जारी रहेगा या बिडला ग्रुप ऐसे अधिकारियों को हटाकर कंपनी की साख बचानें का प्रयास करेंगा इस पर संशय बना हुई है। दूसरी तरफ पुलिस प्रशासन नें ओपीएम प्रबंधन पर  धारा 304, 287 और कारखाना अधिनियम 92 के तहत मामला दर्ज किया है।