हासिए पर हॉकी, गोल्ड के बावजूद बेरूखी
हमारे राष्ट्रीय खेल हॉकी में गोल्ड मैडल मिलना जितना उत्साहवर्धक रहा, उतना ही निराशाजनक था कि अभी तक टीम इंडिया के लिए केंद्र सरकार द्वारा उत्साहवर्धक घोषणा नहीं की गई। हमें ऐसा लगता है कि यदि यही जीत क्रिकेट जैसे विदेशी खेल में होती तो इनाम , घोषणाओंं और पैसों की बरसात हो जाती। राष्ट्रीय खेल का दर्जा प्राप्त इस खेल में गोल्ड मैडल जीतने के बाद रात के 10 बजे तक किसी भी प्रकार की पारितोषिक की घोषणा का न होना मन में एक टीस उठाता है और क्रिकेट के प्रति अनचाही प्रतिद्वंद्विता। बड़ा सवाल यह भी है कि स्वच्छता अभियान महाकवरेज के नीचे राष्ट्रीय खेल की यह बड़ी उपलब्धि भी इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में दब गई। हालांकि एक खिलाड़ी होने के नाते हो सकता है कि मुझे ज्यादा कोफ्त हो रही है, लेकिन कहीं न कहीं देश के खेल प्रेमियों को यह निराशाजनक पहलू खल रहा होगा। वैसे तो पहली जिम्मेदारी केंद्र सरकार के खेल मंत्रालय एवं हॉकी एसोसिएसन की बनती है। हमारे मध्यप्रदेश की सरकार द्वारा भी बीते समय हॉकी के खेल को प्रोत्साहित करने भोपाल को हॉकी की नर्सरी बताने वाले मुखिया ने भी कोई पहल नहीं की। नवरात्रि, गरबे सफाई अभियान की चकाचौंध में इंचियोन एशियन गेमन में भारत की हॉकी टीम को गोल्ड मैडल दिलाने में अहम भूमिका निभाने वाले गोलकीपर श्रीजेस का पसीना भी नहीं दिखा।