भारत और बढ़ाएगा मध्य एशियाई देशों में मौजूदगी, तीन देशों की यात्रा करेंगी सुषमा
नई दिल्ली, भारत मध्य एशियाई देशों में अपनी मौजूदगी बढ़ाने के साथ रक्षा, रणनीतिक व सामाजिक क्षेत्र में परस्पर भागीदारी बढ़ाने पर ध्यान केंद्रित कर रहा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की वर्ष 2015 के दौरान रखी गई बुनियाद को आगे बढ़ाते हुए विदेश मंत्री सुषमा स्वराज दो से पांच अगस्त के बीच मध्य एशिया के तीन देशों की यात्रा पर रवाना होंगी। सबसे पहले उनका दौरा कजाख्स्तान का होगा। इसके बाद वे किरगिजस्तान और यात्रा के आखिरी पड़ाव में उजबेकिस्तान जाएंगी।
संबंधों को नई दिशा देने की कवायद: सूत्रों के मुताबिक भारत का इन देशों के साथ संबंध नया आकार ले रहा है। केंद्र सरकार इन देशों के साथ विस्तारित पड़ोसी देश के नाते रणनीतिक महत्व को रेखांकित कर रही है। एनडीए सरकार के दौरान इन देशों से शीर्ष स्तर पर संवाद लगातार बढ़ा है। भारत का मानना है कि इस क्षेत्र में परस्पर भागीदारी बढ़ाने की असीम संभावना है। उभरती हुई शक्ति के तौर पर भारत इन देशों के साथ मिलकर वैश्विक मुद्दों पर अपनी उपस्थिति प्रभावी तरीके से दर्ज कराना चाहता है। विदेश यात्रा के दौरान परस्पर लाभ के मुद्दों के अलावा विश्व के ज्वलंत मुद्दों पर भी विदेश मंत्री का संबंधित देशों के राजनीतिक नेतृत्व से संवाद होगा। सुषमा स्वराज अपने आत्मीय अंदाज से वहां मौजूद भारतीय समुदाय के लोगों से भी रूबरू होंगी।
लगातार बढ़ रही भागीदारी
विदेश मंत्री दो व तीन अगस्त को कजाख्स्तान में रहेंगी। इसके बाद किरगिज रिपब्लिक में तीन व चार अगस्त को उनका दौरा होगा। आखिरी चरण में 4 व 5 तारीख को वे उजबेकिस्तान पहुंचेगी। अस्ताना में विदेश मंत्री की मुलाकात कजाख्स्तान के विदेश मंत्री से होगी। वे शीर्ष राजनीतिक नेतृत्व से भी भेंट करेंगी। भारतीय समुदाय के लोगों को संबोधित करने का भी उनका कार्यक्रम है। पिछले कुछ सालों में भारत और कजाख्स्तान के बीच रणनीतिक व बहुउद्देश्यीय भागीदारी लगातार बढ़ रही है।
बढ़ती भूमिका को स्वीकारा
आखिरी दो दिन विदेश मंत्री उजबेकिस्तान में रहेंगी। सुषमा यहां भी भारतीय समुदाय के लोगों से मुलाकात करेंगी। सूत्रों ने कहा कि मध्य एशियाई देशों ने भारत की बढ़ती भूमिका को स्वीकार किया है। वे विभिन्न मुद्दों पर भारत के साथ खड़े हो रहे हैं। आतंकवाद के खिलाफ रणनीति से लेकर अफगानिस्तान, दक्षिण एशिया या दक्षिण पूर्व एशिया में भारत की भूमिका सहित कई निर्णायक मुद्दों पर भारत के साथ इनकी करीबी बढ़ी है।
रणनीतिक संबंधों के विस्तार पर ध्यान
प्रधानमंत्री मोदी की वर्ष 2015 और वर्ष 2017 के दौरान यात्राओं में संबंधों को नई दिशा देने की दिशा में ठोस प्रयास किए गए। द्विपक्षीय संबंधों को ध्यान में रखकर एससीओ समिट के दौरान भी दोनों पक्षों के बीच अहम मुलाकातें हुई थीं। अस्ताना के बाद किरगिजस्तान गणराज्य के नेतृत्व से सुषमा की मुलाकात का फोकस भी रणनीतिक भागीदारी का विस्तार होगा। रक्षा, तकनीक व स्वास्थय की दिशा में दोनों देश आपसी संबंधों का विस्तार करेंगे। मोदी ने किरगिजस्तान की यात्रा जुलाई 2015 में की थी। बाद में वहां के राष्ट्रपति दिसंबर 2016 में भारत यात्रा पर आए थे।