आठ महीने बाद भी नहीं मिल रही जीएसटी की रिफंड राशि

इंदौर। केंद्र सरकार ने 1 जुलाई 2017 को देशभर में जीएसटी 'एक देश, एक टैक्स' के स्लोगन के साथ लागू किया था लेकिन आठ माह बाद भी राज्य कर विभाग द्वारा जीएसटी रिफंड नहीं दिए जा रहे। अधिकारियों को रिफंड देने की प्रक्रिया से संबंधित स्पष्ट निर्देश नहीं दिए गए, इसलिए रिफंड स्वीकृत नहीं हो रहे।
कमर्शियल टैक्स प्रैक्टिशनर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष एके गौर, एमपी लॉ बार एसोसिएशन के अध्यक्ष एके लखोटिया, अमित दवे, केदार हेड़ा, देवेंद्र जैन और सीए सुनील पी जैन ने बुधवार को राज्य कर आयुक्त राघवेंद्रसिंह को इस मामले में ज्ञापन सौंपकर त्वरित कार्रवाई की मांग की। वित्त मंत्री जयंत मलैया के नाम सौंपे गए ज्ञापन में दोनों संगठनों ने कहा है कि जीएसटी कानून में यह प्रावधान किया गया है कि कोई सप्लायर भारत के बाहर या सेज एरिया में माल या सेवा सप्लाई करता है तो उसे पूरी कर राशि का रिफंड आवेदन देने के बाद एक तय समयावधि में दिया जाएगा, अन्यथा जीएसटी प्रावधान के अनुसार ब्याज सहित रिफंड लौटाया जाएगा।
राज्य कर अधिकारियों ने नाममात्र के रिफंड तो स्वीकृत किए लेकिन राज्य सरकार के जरूरी दिशानिर्देश नहीं होने से वे ट्रेजरी (कोषालय) में रुके पड़े हैं। एक्साइज विभाग द्वारा जीएसटी कानून में रिफंड तुरंत जारी किए जा रहे हैं, जिसमें केवल आईजीएसटी और सीजीएसटी की राशि मिल रही है। इसमें निहित एसजीएसटी की राशि राज्य कर विभाग से मिलना है जो व्यवसायियों को अभी भी नहीं मिल रही। ज्ञापन में मांग की गई कि रिफंड प्रकरणों में शासन स्तर से देरी हो रही है, इसलिए रिफंड की राशि के साथ ब्याज की राशि भी दी जाए।
समाप्ति के कगार पर है कार्यशील पूंजी
विषय विशेषज्ञों ने ज्ञापन में बताया जुलाई-17 से कानून के अनुसार निर्यात और सेज में किए गए वस्तु और सेवा की सप्लाई में शामिल आईजीएसटी, सीजीएसटी और एसजीएसटी का रिफंड मिलना है। इन करों की राशि आम व्यवसायी के लिए एक कार्यशील पूंजी के बराबर हो सकती है। रिफंड समय पर नहीं मिलने से व्यवसाय में लगाई गई कार्यशील पूंजी समाप्ति के कगार पर है।
इससे बड़े पैमाने पर व्यवसाय प्रभावित हो रहा है। रिफंड में अत्यधिक देरी से मप्र के व्यवसायी निर्यात के प्रति हतोत्साहित हो रहे हैं। इससे अंतरराष्ट्रीय बाजार में भारतीय निर्यात का अंश कम होने के साथ सरकारी राजस्व पर भी विपरीत असर पड़ रहा है। केंद्रीय उत्पाद और सेवा कर विभाग तय समय सीमा में चाहा गया रिफंड सीधे व्यवसायी के बैंक खाते में जमा कर रहा है, लेकिन मप्र सरकार ने इस विषय में कोई नीति-नियम तय नहीं किए हैं। इस कारण अफसर चाहे गए रिफंड के मामलों का निराकरण नहीं कर पा रहे हैं।
एक-दो दिन में हो सकती है जरूरी बैठक
आयुक्त ने प्रतिनिधिमंडल को भरोसा दिया कि इस विषय में वे मंत्री से जल्द मुलाकात कर उन्हें समस्या की जानकारी देंगे, ताकि शासन स्तर पर स्पष्ट दिशानिर्देश जारी हो सकें। विषय की गंभीरता को देखते हुए सरकार एक-दो दिन में जरूरी बैठक कर समस्या का हल निकाल सकती है।