भू-जल के अंधाधुंध उपयोग से टूटा नर्मदा नदी का प्रवाह

भोपाल। मप्र की जीवन रेखा कही जाने वाली नर्मदा की धारा अमरकंटक से लेकर बड़वानी तक जगह-जगह टूट चुकी है। हालात यह हो गए हैं कि होशंगाबाद, बड़वाह जैसी जगहों पर नर्मदा को पैदल पार किया जा सकता है।
विशेषज्ञों के मुताबिक कम बारिश तो इसकी वजह है ही, लेकिन नर्मदा नदी के आसपास भू-जल के अंधाधुंध उपयोग ने नर्मदा की धारा पर काफी असर डाला है। भू-जल स्तर गिरने से नदी का पानी जमीन ने सोखा है और इस कारण कई इलाकों में नदी सूख गई है। जानकारों के मुताबिक नर्मदा नदी में पहली बार इतना कम पानी है।
जबलपुर से बड़वानी तक कहां-क्या स्थिति
जबलपुर: औसत से कम बारिश होने से नर्मदा की धारा पतली हो गई है। सहायक नदियों में पानी नहीं है। जबलपुर के बरगी बांध का जलस्तर 419.05 मीटर है। पॉवर हाउस को 10 क्यूसेक पानी दिया जा रहा है। हर दिन दायीं और पीछे स्थित नहर को 15 क्यूसेक पानी दिया जा रहा है। बिजली बनाने के लिए रोज 10 घंटे पानी दिया जाता था, लेकिन इस साल सिर्फ 4 घंटे पानी दिया जा रहा है।
नरसिंहपुर: कम बारिश के कारण सहायक नदियों में पानी नहीं है। बड़े पैमाने पर रेत खनन भी वजह है। इससे नदी में पानी थामने की सतह को बड़े पैमाने पर नुकसान हुआ है। नरसिंहपुर में नर्मदा की धार करीब पांच फीट सिकुड़ गई है। बरगी डैम से पानी छोड़े जाने पर ही प्रवाह तेज होता है।
होशंगाबाद: नर्मदा नदी के कई घाटों पर टापू उभर आए हैं। खर्राघाट और हर्बल पार्क घाट पर तो यह स्थिति है कि लोग पैदल ही पार कर सकते हैं। इसकी सहायक नदियों में भी पानी नहीं है। बारिश में तवा डैम भी पूरा नहीं भर पाया है, जिससे डैम के गेट नहीं खोले गए।
नेमावर: नेमावर में नर्मदा का पानी तलहटी में पहुंच गया है। बहाव भी इतना धीमा है कि पानी ठहरा हुआ-सा लगता है। बहाव को नियंत्रित करने वाली रेत भी खत्म हो गई है। यह पहली बार है कि फरवरी में नर्मदा का जलस्तर इतना कम है। नर्मदा का पानी इस स्थिति में मई-जून में कभी-कभार होता है।
बड़वाह: बांधों द्वारा पानी रोके जाने और कई सालों से कम हो रहे भू-जल का स्पष्ट प्रभाव नर्मदा के जलस्तर पर देखा जा रहा है। रेलवे पुल के निचले हिस्से से नर्मदा को पैदल भी पार किया जा सकता है। नर्मदा में इस समय 156.260 मीटर जलस्तर है। भीषण गर्मी के दौर में स्थिति और भी खतरनाक हो सकती है।
महेश्वर: नर्मदा के बीच बने बाणेश्वर मंदिर के आसपास चट्टानें निकल आई हैं। घाटों पर डूबी रहने वाली सीढ़ियां भी दिखाई देने लगी हैं। आलम यह है कि केनो स्लालम वॉटर स्पोर्ट्स में अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर पहचान बनाने वाले सहस्रधारा पर्यटन स्थल में खिलाड़ी पानी की कमी झेल रहे हैं।
बड़वानी: नर्मदा किसी छोटी पहाड़ी नदी की भांति हो गई है। पानी की कमी पूरी करने के लिए इंदिरा सागर बांध से पानी छोड़ा जा रहा है, लेकिन पर्याप्त नहीं है। गुजरात में सरदार सरोवर व मप्र में भी इंदिरा सागर व ओंकारेश्वर परियोजना से नहरों में पानी छोड़ने पर अचानक जलस्तर में कमी आई है।
एक्सपर्ट कमेंट: भू-जल रिचार्ज के लिए बड़े पैमाने पर काम करना होगा
नर्मदा नदी की धारा अचानक कम नहीं हुई है। हम गौर करें तो पिछले कई सालों से नदी के आसपास के इलाकों में भू-जल का जरुरत से ज्यादा दोहन किया गया है। इससे नर्मदा और इसकी सहायक नदियों की धारा पर असर पड़ा है। नर्मदा की इतनी बुरी हालत इससे पहले कभी नहीं हुई। अब सरकार को नर्मदा नदी के पूरे तंत्र में भू-जल रिचार्ज करने के लिए बहुत बड़े पैमाने पर काम करना होगा। तब जाकर थोड़ी बहुत मदद मिल सकती है। इसके अलावा गर्मी की फसल में उपयोग होने वाले भू-जल पर रोक लगानी होगी और जैविक फसल पर ध्यान देने की जरूरत है। इसका मतलब यह हुआ कि आर्थिक स्थिति ठीक नहीं है तो खर्च भी कम करें और आमदनी भी बढ़ानी होगी। इसके अलावा सतपुड़ा और विंध्याचल वैली के वन क्षेत्र में भी भू-जल को बढ़ाने की जरूरत है। वन विभाग को इस पर खासतौर पर ज्यादा मेहनत करने की जरूरत है।
- केजी व्यास, जल विशेषज्ञ