आज ज्येष्ठ माह की पूर्णिमा है। इस दिन वट सावित्री व्रत भी रखा जाएगा। इसके बाद बारिश का माह आषाढ़ माह का प्रारंभ हो जाएगा।
इससे पूर्व पेड़ पौधे लगाने का बहुत पुण्य प्राप्त होता है। 3 जून को ज्येष्‍ठ माह की पूर्णिमा तिथि सुबह 11 बजकर 18 मिनट से प्रारंभ होगी और अगले दिन सुबह 9 बजकर 21 मिनट पर समाप्त होगी।
पीपल : ज्येष्ठ शुक्ल पूर्णिमा पर पीपल के वृक्ष में जल अर्पित करने और शाम को दीपक जलाने से मनचाहा वरदान मिलता है। इस दिन तांबे के एक लोटे में पानी भरकर उसमें कच्चा दूध मिलाकर एक बताशा डालें और उसे जल को पीपल के पेड़ में अर्पित करें दें। इससे आर्थिक तंगी दूर होगी और माता लक्ष्मी एवं श्रीहरि विष्णु की कृपा प्रात होगी। इस दिन शाम को पीपल के नीचे दीपक लगाने से शनि और पितर देव की कृपा प्राप्त होती है।

 
बरगद : ज्येष्ठ शुक्ल पूर्णिमा पर विशेष रूप से वट अर्थात बरगद के पेड़ की पूजा अर्चना होती है। महिलाएं इस दिन इसकी पूजा करके कच्चे सूत का धागा इसके आसपास लपेटकर बांधती है और इसकी 3 परिक्रमा करती हैं। इससे पति की आयु लंबी होती है और घर में सुख शांति बनी रहती है। ट के वृक्ष में ब्रह्मा, विष्णु व महेश तीनों का वास है। इसलिए इस दिन वट वृक्ष की विधिवत पूजा करके परिक्रमा करेंगे तो घर में सुख-शांति, और धनलक्ष्मी का वास होगा। इस दिन वट वृक्ष में 108 बार कच्चा सूत बांधते हुए परिक्रमा करने से ब्रह्मा, विष्णु और महादेव का आशीर्वाद मिलता है।

तुलसी : ज्येष्ठ पूर्णिमा पर तुलसी के पौधे की जड़ से मिट्टी लेकर उसका तिलक लगाने से सभी कार्यों में सफलता मिलती है और सभी तरह की मनोकामनाएं पूर्ण होने के रास्ते खुल जाते हैं। इस दिन माता तुलसी को लाल चुनरी भी अर्पित करें और शाम को घी का दीपक जलाकर रखें। इससे मां तुलसी का वरदान प्राप्त होगा और दुर्भाग्य दूर होगा।