25 मार्च को शीतला अष्टमी का पर्व मनाया जाएगा। इसे बसौरा या बसोड़ पर्व भी कहा जाता है। इसमें एक दिन पूर्व खाना बनाकर दूसरे दिन खाया जाता है। कई जगह पर सप्तमी का इस दिन ठंडा खाना खाया जाता है।
1. इस एक दिन पहले ही मीठे चावल बना लें और उसके बाद पूजा की सभी समाग्री तैयार कर लें। जिसमें मीठे चावलों के साथ हल्दी और चने की दाल अवश्य होनी चाहिए।

2. इस दिन सुबह ठंडे पानी से स्नान करना चाहिए और साफ वस्त्र धारण करके अंधेरे में जहां पर होली जलाई गई हो उस स्थान पर जाना चाहिए।

3. इसके बाद वहीं पर आटा गूंथकर दो आटें का दीपक बनाएं और उसमें घी की बाती डूबोकर लगाएं।

4. यह दीपक बिना जलाएं उस होली वाले स्थान पर रख दें और मीठे चावल, चने की दाल और हल्दी भी चढ़ाएं और उसके बाद जल चढ़ाएं।

5. इसके बाद मंदिर जाकर माता शीतला की पूजा करें। सबसे पहले माता शीतला को हल्दी और रोली का तिलक लगाएं।

6. माता शीतला का तिलक करने के बाद काजल, मेहंदी, लच्छा और वस्त्र अर्पित करें। तीन कंडवारे का समान अर्पित करें।

7. इसके बाद माता शीतला की कथा अवश्य पढ़ें या सुने।

8. कथा पढ़ने के बाद माता शीतला को भी मीठे चावलों का भोग लगाएं।

9. इसके बाद माता शीतला की आटें का दीपक जलाकर आरती उतारें।

10. आरती उतारने के बाद माता शीतला को जल अर्पित करें और उसकी कुछ बूंदे अपने ऊपर भी डालें।