छत्तीसगढ़ के बिलासपुर और मुंगेली के बाद पहली बार दुर्ग जिले के धमधा ब्लॉक में गिद्धों की लुप्त प्राय प्रजाति ‘इजीप्शियन वल्चर’को देखा गया है। इससे जिले में इसके संरक्षण की उम्मीदें बढ़ गई हैं। कलेक्टर डॉ. एसएन भुरे ने इस प्रजाति के संरक्षण के लिए वन विभाग और रेवेन्यू विभाग को मिलकर ‘वल्चर रेस्टारेंट’के लिए जगह चिह्नांकित करने और उसे बनाने के निर्देश दिए हैं।इजीप्शियन प्रजाति के गिद्ध वहां मौजूद बड़े पेड़ों में घोंसला बनाकर रह रहे हैं। इनकी प्रजाति के संरक्षण और संवर्धन के लिए यह एक अच्छा संकेत है। उन्होंने बताया कि इसी मसले पर उन्होंने कलेक्टर डॉ. भुरे के साथ बुधवार को मंथन किया है। इसके बाद दोनों अधिकारियों ने ऐसे क्षेत्रों में जहां ‘इजीप्शियन वल्चर’ की बसाहट सबसे अधिक पाई गई है वहां इनके कंजर्वेशन के लिए संरक्षित क्षेत्र बनाने का निर्णय लिया है।कलेक्टर ने रेवेन्यू डिपार्टमेंट की मदद से इसके लिए जगह चिह्नांकित करने का निर्णय लिया है। इसके बाद बुधवार को फारेस्ट और रेवेन्यू की संयुक्त टीम ने धमधा ब्लॉक जाकर जगह चिह्नांकन के लिए सर्वे का कार्य किया है।

डीएफओ गणवीर ने बताया कि इजीप्शियन वल्चर की प्रजाति दुर्ग ही नहीं छत्तीसगढ़ में दिखाई देना एक बड़ी बात है। यह एक दुर्लभ प्रजाति है। इसके संरक्षण की जरूरत है। इसके लिए एक खास क्षेत्र ‘वल्चर रेस्टारेंट’ बनाया जाएगा। गिद्ध मृतभक्षी होते हैं। इनके भोजन के लिए मरने वाले जानवरों को यहां लाया जाएगा। यहां ऐसे पौधे लगाये जाएंगे जो गिद्धों की बसाहट के अनुकूल होंगे। गिद्ध पीपल जैसे ऊंचे पेड़ों में बसाहट बनाते हैं। कंजर्वेशन वाले क्षेत्र में भी इसी तरह के पौधे लगाए जाएंगे। ‘वल्चर रेस्टारेंट’ में उस हर सुविधा का विकास होगा जो गिद्धों की बसाहट के लिए उपयोगी होगी। इजीप्शियन वल्चर के गर्दन में सफेद बाल होते हैं। इनका आकार थोड़ा छोटा होता है। ब्रीडिंग के वक्त इनकी गर्दन थोड़ी सी नारंगी हो जाती है