नई दिल्ली । केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह ने 50वें त्रिपुरा दिवस समारोह को वीडियो कॉन्फ़्रेंसिंग के माध्यम से संबोधित किया। इस अवसर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का एक विडियो संदेश भी दिखाया गया जिसमे उन्होने त्रिपुरा के लोगों को राज्य के 50वें स्थापना दिवस की शुभकामनाएं दी। समारोह में त्रिपुरा के राज्यपाल सत्यदेव नारायण आर्य और मुख्यमंत्री बिप्लब कुमार देब समेत अनेक गणमान्य व्यक्ति भी उपस्थित थे। केन्द्रीय गृह मंत्री ने अपने संबोधन की शुरूआत सभी त्रिपुरावासियों को राज्य स्थापना दिवस की शुभकामनाएं देकर और मां त्रिपुरा सुंदरी को नमन करके की। उन्होंने कहा कि त्रिपुरा के साथ ही आज मेघालय और मणिपुर के स्थापना दिवस पर तीनों राज्यों के लोगों को हार्दिक शुभकामनायें देता हूँ। त्रिपुरा भारत का एक बहुत महत्वपूर्ण राज्य है जिसका एक गौरवशाली इतिहास है और आज राज्य के 50 वर्ष पूर्ण होने पर हमें संकल्पना करनी चाहिए कि 25 साल बाद त्रिपुरा कहां होगा। श्री शाह ने राज्य के मुख्यमंत्री को बधाई देते हुए कहा कि उन्होंने संकल्प-2047 के माध्यम से त्रिपुरा की जनता के सामने एक लक्ष्य रखा है। आज भारत सरकार के डाक विभाग ने राज्य का स्मारक डाक टिकट भी जारी किया है।
केन्द्रीय गृह मंत्री ने कहा कि देश के विभाजन के समय से त्रिपुरा ने अनेक विभीषिकाओं को झेला और उस वक़्त महाराजा वीरविक्रम किशोर माणिक्य भारत संघ के साथ जुड़े। विभाजन के समय त्रिपुरा के महाराजा बीर बिक्रम किशोर माणिक्य पहले ऐसे राजा थे जिन्होंने भारतीय संघ के साथ जुड़ने की घोषणा की। जब से अंग्रेज़ों ने फूट डालो और शासन करो की नीति अपनाना शुरू किया, उन्होंने सबसे पहले भारतीय संघ का समर्थन किया। जब आततायी पूर्वी पाकिस्तान की ओर से त्रिपुरा में घुसने लगे, तब महारानी कंचनप्रभा जी ने सरदार पटेल  से बात करके मदद मांगी थी और सरदार पटेल ने असम से वायु सेना भेजकर त्रिपुरा की मदद की थी। आज त्रिपुरा के स्थापना दिवस पर मैं सरदार पटेल को भी याद करता हूं जिनके त्वरित और दूरदर्शी निर्णय के कारण आज त्रिपुरा महान भारत का एक हिस्सा है। महाराजा बीर बिक्रम किशोर माणिक्य जी का बहुत बड़ा योगदान त्रिपुरा के पिंड बनाने में रहा है। रुद्रसागर तालाब हो, नीरमहल हो, शिक्षा के लिए सैकड़ों एकड़ ज़मीन दान करनी हो, अगरतला का हवाईअड्डा बनाना हो, हर क्षेत्र में राजा साहब ने त्रिपुरा के विकास की नींव डाली और इसीलिए राजा साहब की स्मृति में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अगरतला हवाई अड्डे का नाम राजा साहब के नाम पर रखा है। 438 करोड़ रूपयों की लागत से एक भव्य और अत्याधुनिक हवाईअड्डा बनाने का काम त्रिपुरा में हुआ है। प्रतिभा को बढ़ावा देने का सबे बड़ा उदाहरण हैं भारत के श्रेष्ठ वैज्ञानिक जगदीशचन्द्र बोस। उन्हें अगर त्रिपुरा के महाराजा आर्थिक सहयोग ना देते तो वो शायद विज्ञान के क्षेत्र में दुनिया और देश में इतना गौरव प्राप्त ना कर पाते। अमित शाह ने कहा कि आज यहां लक्ष्य -2047 जारी किया गया है और ये सिर्फ़ एक 50 पन्नों का दस्तावेज़ नहीं है। ये त्रिपुरा की जनता की आशाओं और आकांक्षाओं का चित्रण है, इसमें त्रिपुरा के भविष्य का ख़ाका है। आने वाली पीढ़ियां, विशेषकर युवा कैसा त्रिपुरा बनाएंगे और इसके विकास में कैसा योगदान देंगे, ये उसका एक ख़ाका है। इसमें मुख्यत: छह क्षेत्र चिन्हित किए हैं - कृषि, सामाजिक समरसता, पर्यावरण और जलवायु परिवर्तन, उद्योग और निवेश, प्रशासनिक सुधार, और दूरसंचार और रसद-और इन सारे क्षेत्रों में किस प्रकार त्रिपुरा आगे बढ़ेगा इसका एक ख़ाका रखा गया है। देश के प्रधानमंत्री जी ने देश की 130 करोड़ जनता के सामने आज़ादी के अमृत महोत्सव के समय आने वाले 25 साल के कालखंड को संकल्प का कालखंड बताया है, क्योंकि आज ही भारत की जनता को तय करना होगा कि जब भारत अपनी स्वतंत्रता की शताब्दी मनाएगा, उस वक़्त भारत कहां होगा, हर क्षेत्र में हम कहां होंगे। ये 25 साल प्रत्येक भारतवासी और त्रिपुरावासी के लिए परिश्रम की पराकाष्ठा करने के 25 वर्ष हैं। अगर देश को दुनिया में अपना स्थान सुनिश्चित करना है तो इन 25 सालों को संकल्प के काल के रूप में मानकर आगे बढ़ना होगा। उन्होंने कहा कि देश लंबे समय तक ग़ुलाम रहा लेकिन अब जब देश आज़ाद है तो ग़ुलामी के कारण जितना हम पिछड़े हैं उसकी क्षतिपूर्ति करने के ये 25 साल हैं। ये लक्ष्य-2047 दस्तावेज़ त्रिपुरा को महान, विकसित, सुरक्षित और आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में बहुत बड़ा काम करेगा।