भोपाल : राज्यपाल श्री मंगुभाई पटेल ने कहा है कि शिक्षक राष्ट्र निर्माता होते हैं। भविष्य की आवश्यकताओं के अनुरूप भावी पीढ़ी को तैयार करना उनका दायित्व है। उन्होंने कहा कि आजादी के लिए बलिदान देने वालों के त्याग और संघर्ष से युवा पीढ़ी को परिचित कराने के प्रयास जरूरी हैं।

राज्यपाल श्री पटेल इन्फोटेक एजुकेशन सोसाइटी समूह के 23वें स्थापना दिवस समारोह को संबोधित कर रहे थे। राज्यपाल का शॉल, श्रीफल और स्मृति-चिन्ह भेंट कर अभिनंदन किया गया। राज्यपाल ने रोजगार प्लेसमेंट में विद्यार्थियों के सहयोगियों, पूर्व छात्रों, मेधावी विद्यार्थियों को पुरस्कृत किया। साथ ही उन्नति वृक्ष का अनावरण किया।

राज्यपाल श्री मंगुभाई पटेल ने कहा इस वर्ष देश आज़ादी का अमृत महोत्सव मना रहा है, जिसका उद्देश्य है कि हमारी भावी पीढ़ी और युवाओं को हमारे अतीत के संघर्ष और गौरव की जानकारी प्राप्त हो। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी द्वारा समर्थ, सशक्त और समृद्ध राष्ट्र निर्माण के लिए युवाओं को तैयार करने का प्रयास नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति में किया गया है। उन्होंने बंधन मुक्त शिक्षा की व्यवस्था करके युवाओं को अपने हौंसलों से अपने सपने साकार करने का मौका दिया है। शिक्षा संस्थान और शिक्षकों का दायित्व है कि भविष्य की चुनौतियों के अनुसार शिक्षा और शिक्षण पद्धति विकसित करें। इसके लिए जरूरी है कि शिक्षा में ज्ञान के साथ संवेदनशीलता और संस्कार देने के लिए पाठ्यक्रम को ज्ञान और मूल्य केन्द्रित बनाया जाए। विद्यार्थियों के कौशल उन्नयन के साथ उनमें नेतृत्व और उद्यमिता के गुणों का भी विकास किया जाए।

अध्यक्ष म.प्र. लोक सेवा आयोग डॉ. राजेश लाल मेहरा ने कहा कि सुव्यवस्थित समाज के लिए शिक्षा का संस्कारित होना जरूरी है। शिक्षा आधुनिक ज्ञान, तकनीक के साथ भी संस्कारों से जोड़ने वाली होना जरूरी है। उन्होंने कहा कि समरस समाज के लिए संवेदनशीलता का होना जरूरी है।

अध्यक्ष निजी विश्वविद्यालय विनियामक आयोग डॉ. भरत शरण सिंह ने कहा कि शिक्षा की समग्रता के लिए शैक्षणिक और गैर-शैक्षणिक गतिविधियों पर बल दिया जाना जरूरी है। उन्होंने कहा कि नई शिक्षा नीति में इस पर विशेष ध्यान दिया गया है। उन्होंने कहा कि युवा राष्ट्र का भविष्य होते हैं। अतः जरूरी है कि शिक्षा उनमें चारित्रिक गुणों, आत्म-विश्वास, दृढ़ता और अध्ययन शीलता के गुणों का विकास करें। उन्होंने युवाओं को प्रसिद्ध नृत्यांगना सुधा चंद्रन और पर्वतारोही अरूणिमा सिन्हा का उदाहरण देते हुए कहा कि जीवन की चुनौतियों का दृढ़ता से सामना करना चाहिए।

कुलाधिपति इंजी. बी.एस. यादव ने स्वागत उद्बोधन में कहा कि एक नेक उद्देश्य से प्रारम्भ किए गए प्रयासों को निःस्वार्थ सहयोग मिलता है। उसका प्रमाण आई.ई.एस. संस्था का विकास है। वंचित और जरूरतमंद बच्चों को शैक्षणिक सुविधाएँ उपलब्ध कराने के प्रयास किए हैं। आई.ई.एस. समूह में 60 प्रतिशत महिलाएँ कार्यरत और 15 हजार बच्चे अध्ययनरत हैं। केंद्र सरकार के सहयोग से कौशल विकास उन्नयन का कार्य प्रारम्भ किया गया है, जिसमें 7 वर्षों में 25 हजार युवाओं का कौशल उन्नयन होगा। विश्वविद्यालय 5 गाँवों के सरकारी स्कूलों के संसाधनों की पूर्ति में भी सहयोग कर रहा है।

आई.ई.एस. विश्वविद्यालय की प्रो. चांसलर श्रीमती सुनीता सिंह ने बताया कि संस्था द्वारा हाईटेक एजुकेशन विद वैल्यू के लक्ष्य के साथ कार्य किया जा रहा है। संस्था के विकास का प्रतिवेदन ग्रुप डायरेक्टर डॉ. मनीषा ने प्रस्तुत किया।