उज्जैन. इस बार मौनी अमावस्या 1 फरवरी, मंगलवार को है। मौनी अमावस्या पर भगवान श्रीहरि का पूजन किया जाता है। कई श्रद्धालु मौनी अमावस्या (Mauni Amavasya 2022) के दिन व्रत भी रखते हैं। मौनी अमावस्या मौन व्रत रखने का भी विशेष महत्व है।

शास्त्रों के अनुसार उच्चारण करके जाप करने से कई गुणा अधिक पुण्य मौन रहकर हरि का जाप करने से मिलता है। आगे जानिए मौन व्रत क्या है और उसका क्या महत्व है.

इसलिए मौन रहते हैं इस दिन
- मौन या शांत रहने का तात्पर्य है कि भक्त बाहरी जीवन से दूर रहकर स्वयं के भीतर क्या चल रहा है उसका आत्ममंथन करे।
- मन के भीतर जो भी कमियाँ नजर आ रही हैं या जो भी गलतियां समझ ईश्वर की आरधना में लीन होकर अपनी कमियों को दूर करें।
- मौन का मतलब अपने मन को एकाग्र करना होता है और प्रभु के नाम का स्मरण करना होता है।
- इससे आपके अंदर पनप रही नकारात्मकता दूर होगी और आपके आध्यात्मिक प्रवृत्ति का विकास होगा।
- मान्यता है कि मौनी अमावस्या के दिन यदि व्यक्ति संकल्प लेकर पूरे विही-विधान से मौन व्रत रखेगा तो उसे उसके पापकर्मों से मुक्ति मिलेगी।
- यदि श्रद्धालु पूरा दिन मौन व्रत नहीं रख सकते तो स्नान और दान-पुण्य करने से पूर्व सवा घंटे तक का मौन व्रत जरूर रखें।
- मान्यता है कि ऐसा करने से भक्तों को दान-पुण्य का 16 गुना अधिक फल प्राप्त होगा व मोक्ष की प्राप्ति होगी।

मौनी अमावस्या के नियम
1. मौनी अमावस्या के दिन सुबह स्नान नदी, सरोवर या पवित्र कुंड में स्नान करना चाहिए। स्नान के बाद सूर्य देव को अर्घ्य देना चाहिए।
2. इस दिन व्रत रखकर जहां तक संभव हो मौन रहना चाहिए। गरीब व भूखे व्यक्ति को भोजन अवश्य कराएं।
3. अनाज, वस्त्र, तिल, आंवला, कंबल, पलंग, घी और गौ शाला में गाय के लिए भोजन का दान करें।
4. यदि आप अमावस्या के दिन गौ दान, स्वर्ण दान या भूमि दान भी कर सकते हैं।
5. हर अमावस्या की भांति माघ अमावस्या पर भी पितरों को याद करना चाहिए। इस दिन पितरों का तर्पण करने से उन्हें मोक्ष की प्राप्ति होती है।