भारत में कई मंदिर अपने अलग अलग कारणों की वजह से प्रसिद्ध है। जैसे कि कोई मंदिर अपनी निर्माण शैली के कारण प्रसिद्ध है। तो वही कोई मंदिर अपने पौराणिक इतिहास के कारण प्रसिद्ध है। कई मंदिर ऐसे भी हैं जो अपने चमत्कारों के कारण प्रसिद्ध है। भारत में कुछ मंदिर ऐसे भी हैं जहाँ भक्तों द्वारा विशेष प्रकार का प्रसाद चढ़ाया जाता है जैसे की बीड़ी बाबा का मंदिर ऐसे ही अन्य मंदिर भारत में प्रसिद्ध है। आज हम आपको एक ऐसे मंदिर के बारे में बताएंगे जिसमें भक्त कहीं भी किसी भी दिशा में कितनी भी दूर खड़े हो लेकिन उन्हें भगवान के दर्शन होते हैं। दूसरे शब्दों में कहें तो इस मंदिर में हर ओर से भक्तों को भगवान दिखाई देते हैं। अपनी इसी विशिष्टता के कारण यह मंदिर भक्तों के बीच काफी प्रसिद्ध है।

मध्यप्रदेश के नरसिंहपुर जिला में यह मंदिर स्थित है। नरसिंहपुर में यह भगवान नृसिंह का मंदिर है इसीलिए इस मंदिर का नाम नृसिंह मंदिर है। यह मंदिर करीब 600 साल पुराना है जो कि वर्ष में केवल एक बार ही पूजा के लिए खुलता है।

ऐतिहासिक कथाओं के अनुसार इस मंदिर का निर्माण उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर के जाट राजा नाथन सिंह ने करवाया था। राजा नाथन सिंह अपने समय के सबसे बश्रेष्ठ और शक्तिशाली योद्धा माने जाते थे। कहते हैं उस समय में नागपुर के राजा ने पिंडारियों से परेशान होकर ऐलान किया था कि जो भी पिंडारियों के सरदार को पकड़कर उनके सामने पेश करेगा उसे भारी इनाम दिया जाएगा। राजा नाथन सिंह एक श्रेष्ठ योद्धा थे उन्हें इस कार्य की जिम्मेदारी मिली। जब वह उत्तर प्रदेश से नागपुर आए थे तब नागपुर समेत मानिकपुर और कटनी मैं पिंडारियों का आतंक था।

नाथन सिंह ने पिंडारियों के सरदार को पकड़कर राजा के सामने पेश किया था तब राजा ने उन्हें इनाम में 80 गांव समेत 200 घुड़सवार दिए थे। जिसमे आज के समय का नरसिंहपुर भी शामिल था। नाथन सिंह ने अपने ईष्टदेव नर सिंह के नाम से गांव बस आया था और उसमें मंदिर बनवाया था जो आज नृसिंह मंदिर के नाम से जाना जाता है।

मंदिर के पुजारी बताते है की भगवान नृसिंह की प्रतिमा मंदिर के गर्भगृह में एक स्तंभ पर विराजमान है। मंदिर का गर्भगृह साल में एक ही बार नृसिंह जयंती के अवसर पर खोला जाता है। जिसमे भक्तों को पूजा करने का विशेष अवसर मिलता है।

इस मंदिर की सबसे खास बात यह है कि श्रद्धालु प्रतिमा के कितने ही पास हूँ या फिर 100 फ़ीट दूर सड़क पर खड़े होकर दर्शन करें उन्हें पूरी प्रतिमा के दर्शन होते हैं और ऐसा प्रतीत होता है की ईश्वर उन्हें ही देख रहे हैं।