सतना ।   मझगवां में वीरांगना रानी दुर्गावती की प्रतिमा का अनावरण करते हुए संघ प्रमुख ने कहा- राष्ट्र की रक्षा और सम्मान सर्वोपरि सतना (नईदुनिया प्रतिनिधि)। राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के सरसंघचालक डा. मोहन भागवत ने कहा कि व्यक्तिगत स्वार्थों के लिए देश का अहित करने के बारे में कभी नहीं सोचना चाहिए। रानी दुर्गावती के जीवन से हमें सीख लेनी चाहिए कि राष्ट्र की रक्षा और राष्ट्र का सम्मान सर्वोपरि होता है। उनके शौर्य व पराक्रम के कारण आक्रांताओं को इस क्षेत्र में कब्जा करने के लिए 20 से 30 वर्ष की प्रतीक्षा करनी पड़ी। यहां के लोगों ने आपस के विवादों से दूर रहकर विदेशियों से सतत संघर्ष किया और व्यक्तिगत स्वार्थों के लिए कभी भी देश का अहित करने की नहीं सोची। डा.भागवत ने शनिवार को आदिवासी बहुल क्षेत्र मझगवां स्थित महर्षि वाल्मीकि परिसर दीनदयाल शोध संस्थान में वीरांगना दुर्गावती की प्रतिमा का अनावरण किया। संघ प्रमुख डा. भागवत ने कहा कि वीरांगना रानी दुर्गावती की लड़ाई में मुसलमान भी शामिल थे। हमें भी बगैर किसी भेदभाव के राष्ट्र के कल्याण व सुरक्षा के लिए आगे बढ़ना चाहिए। वीरांगना दुर्गावती विश्वासघात का शिकार हुईं। हम सभी राष्ट्र प्रेमियों का दायित्व है कि देशहित में कभी भी कोई विश्वासघात न करने पाए। उन्होंने कहा कि वनवासी बंधुओं की बड़ी आबादी वाले इस क्षेत्र में प्रभु श्रीराम ने 14 वर्ष के वनवासकाल में से साढ़े 11 वर्ष का समय व्यतीत किया था। कार्यक्रम के बाद सहभोज में सरसंघचालक के साथ जनजातीय समाज व विविध सेवा क्षेत्रों से जुड़े 29 लोग शामिल हुए। कार्यक्रम में दिगंबर स्वामी मदन मोहन गिरी महाराज, दीनदयाल शोध संस्थान के अध्यक्ष वीरेंद्र पराक्रमादित्य आदि मौजूद रहे।