नई दिल्ली । कांग्रेस ने गुजरात के विधायक जिग्नेश मेवानी की असम पुलिस द्वारा की गई गिरफ्तारी के मामले में न्यायाधीश की तल्ख टिप्पणी का हवाला देकर कहा कि अगर मुख्यमंत्री हिमंत बिस्व सरमा में किसी तरह नैतिकता बाकी हैं, तब उन्हें तत्काल इस्तीफा दे देना चाहिए। असम के बारपेटा जिले की अदालत ने मेवानी को एक महिला पुलिस अधिकारी पर कथित हमले से संबंधित मामले में शुक्रवार को जमानत प्रदान करते हुए ‘‘झूठी प्राथमिकी" दर्ज करने के लिए राज्य पुलिस की खिंचाई की। बारपेटा जिला एवं सत्र न्यायाधीश अपरेश चक्रवर्ती ने जमानत याचिका पर सुनवाई करते पिछले एक साल में पुलिस मुठभेड़ों का उल्लेख करते हुए गौहाटी उच्च न्यायालय से आग्रह किया कि वह राज्य पुलिस बल को ‘‘खुद में सुधार’’ करने का निर्देश दे। बारपेटा रोड पुलिस थाने में दर्ज मामले में मेवानी को एक हजार रुपये के निजी मुचलके पर जमानत दी गई।
मामले को लेकर कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने ट्वीट किया, ‘‘संविधान और कानून को ताक पर रखकर, भाई जिग्नेश को फर्जी मुकदमें में फंसाने की भाजपाई साजिश आज बेनकाब हुई। पुलिस बल के दुरुपयोग से सच की आवाज को दबाने की कायराना हरकत पर अदालत की ये टिप्पणी जोरदार तमाचा है। उन्होंने सवाल किया, क्या भाजपा अब "पुलिस स्टेट" बनाकर अपनी नाकामियों को छुपायेगी?’’ कांग्रेस प्रवक्ता सुप्रिया श्रीनेत ने कहा, ‘‘न्यायाधीश ने असम पुलिस को लेकर जो तल्ख टिप्पणियां की हैं, वहां मुख्यमंत्री सरमा पर सवाल खड़े करती हैं। अगर असम के मुख्यमंत्री में जरा भी नैतिकता और शर्म बची है, तब उन्हें तत्काल इस्तीफा दे देना चाहिए। लेकिन मुझे पता है कि मुख्यमंत्री सरमा में कोई नैतिकता और लोकलाज नहीं है। उन्होंने कहा कि सवाल प्रधानमंत्री और केंदीय गृह मंत्री से भी बनता है कि क्या यह देश कानून से चलेगा या फिर फर्जी मुठभेड़ों से चलेगा? उन्होंने कहा कि असम पुलिस की भूमिका की जांच होनी चाहिए और जिम्मेदार लोगों के खिलाफ मुकदमा होना चाहिए। सुप्रिया ने पंजाब के पटियाला में हुई झड़प का हवाला देकर आम आदमी पार्टी के संयोजक केजरीवाल पर निशाना साधते हुए कहा, ‘‘दुर्भाग्य है कि पंजाब में यह सब हुआ है। जो लोग कल तक पुलिस और प्रशासन नहीं होने का रोना रोते थे, वहां आज क्या कर रहे हैं? आज उनका प्रशासन क्यों नाकाम क्यों हो गया है?’’ उन्होंने कहा, बड़ी-बड़ी बातें करना एक बात होती है, लेकिन पुलिस और प्रशासन के साथ सरकारों को चलाना दूसरी बात है।’’