चाणक्य अपनी राजनीतिक कुशलता के कारण काफी प्रसिद्ध हैं। आज भी जब राजनीति और नैतिक मूल्यों की बात होती है तो भारत के इतिहास के प्रमुख व्यक्ति चाणक्य की बात अवश्य होती है। चाणक्य एक कुशल राजनीतिज्ञ और नीतिकार माने जाते हैं। चाणक्य ने ना सिर्फ राजनीति के बारे में बात की है बल्कि उन्होंने कई सामाजिक बिंदुओं पर भी बात की है। आज हम आपको चाणक्य ने युवाओं को किन आदतों से दूर रहने के लिए कहा है यह बताएंगे। चाणक्य कहते हैं युवाओं को इन पांच आदतों से दूर रहना चाहिए अन्यथा यह आदतें जीवन में मिलने वाली सफलता में बाधाएं उत्पन्न करती है। आइए जानते हैं कौन सी है वह पांच आदतें:-

चाणक्य ने सबसे पहले आलस की बात कही है। कहते हैं आलस इंसान का सबसे बड़ा शत्रु होता है। यदि कोई व्यक्ति युवावस्था में आलस का शिकार हो जाता है तो वह स्वयं ही अपने जीवन को बर्बादी की ओर ले जाता है। आलसी व्यक्ति के पास यदि जीवन में कई अच्छे हैं अवसर आते भी हैं तो वह उन्हें अपने आलस के कारण खो देता है।। इसलिए कहते हैं यदि व्यक्ति जीवन में सफल होना चाहता है तो उसे आलस का त्याग करना चाहिए।

यदि व्यक्ति लापरवाह है तब भी वह जीवन में सफलता प्राप्त नही कर सकता है। व्यक्ति का लापरवाह रवैया उसकी पूरी मेहनत को बेकार कर देता है। युवावस्था में यदि कोई व्यक्ति लापरवाह होता है तो वह अपनी शक्ति का कभी सही से इस्तेमाल नहीं कर पाता है। इसी कारण से कहते हैं युवावस्था में सबसे अहम हैं अपनी शक्ति को पहचानना और उसे सही दिशा में लगाना। साथ ही आपको अपने सभी काम सावधानी से करने चाहिए। आपको कोई संशय है की आप के लिए कौन सा क्षेत्र बेहतर रहेगा तो आप किसी अनुभवी व्यक्ति की भी सलाह ले सकते हैं।

अब बात करते हैं उस तीसरी आदत की जो यदि युवाओं में होती है तो सफलता में बाधाएं उत्पन्न करती है। जीवन में मित्र बनाना अच्छी बात है परन्तु बुरी संगत में पड़ जाना एक बहुत बड़ी बर्बादी का कारण बन सकती है। बुरी संगत न सिर्फ आपको बर्बाद करती है परन्तु समाज में आपकी छवि को भी खराब कर देती है। इसलिए कहते हैं मित्र बहुत सोच समझकर बनाने चाहिए। मित्र आपके उत्थान और पतन दोनों का कारण बन सकते हैं। एक अच्छा मित्र जहाँ आपको सफलता के शीर्ष तक पहुंचाने में सहायक बन सकता है वही एक गलत मित्र आपको असफलता के छोर तक ले जा सकता है। यदि आप सफल बनना चाहते हैं तो अपनी संगत पर जरूर ध्यान दें।

आज के समय में देखा गया है युवा बड़ी संख्या में नशे का शिकार हो रहे हैं। इसका कारण कुछ भी हो सकता है जैसे कि फिल्मों तथा किताबों में दिखाए जाने वाले किरदार हो या फिर पश्चिमी सभ्यता का बढ़ता प्रभाव हो। किसी भी चीज़ का नशा बहुत बुरा होता है और यह किसी का भी जीवन खराब कर सकता है। नशे की लत ना सिर्फ व्यक्ति को शारीरिक हानि पहुंचाती है बल्कि मानसिक और आर्थिक बर्बादी भी करती है। नशे का शिकार व्यक्ति किसी भी लायक नहीं रह जाता है, न ही समाज में उसकी एक अच्छी छवि बनी रहती है। यदि कोई युवा अपनी युवावस्था में ही नशे का शिकार हो जाता है तो ऐसा व्यक्ति जीवन में कभी सफलता प्राप्त नहीं कर सकता है।

चाणक्य ने जिन पांच आदतों का जिक्र किया है उसमें से पांचवी आदत है कामेच्छा। यदि युवावस्था में कोई युवा या कहे कोई व्यक्ति इसका शिकार हो जाता है तो य उसके जीवन पर असर डालती है। वही यदि किसी को इसकी आदत लग जाती है तो वह व्यक्ति जीवन में कभी सफलता हासिल नहीं कर सकता है क्योंकि ऐसे व्यक्ति की समाज में प्रतिष्ठा गिर जाती है और लोगों के बीच अविश्वसनीय हो जाता है।