रूस-यूक्रेन युद्ध के बाद बढ़ती महंगाई पर काबू पाने के लिए आरबीआई मई, 2022 से अब तक छह बार में रेपो दर में 2.50 फीसदी की बढ़ोतरी कर चुका है। केंद्रीय बैंक के इस कदम के बाद बैंकों ने भी ब्याज दरों में बढ़ोतरी की है। इससे होम लोन समेत सभी तरह के कर्ज महंगे हो गए हैं, जिससे कर्ज लेने वालों पर मासिक किस्त (ईएमआई) का बोझ बढ़ गया है।

मई, 2022 में 7 फीसदी ब्याज दर पर होम लोन लेने वालों ग्राहकों को अब 9.50 फीसदी ब्याज चुकाना पड़ रहा है। महंगे कर्ज के दौर में ग्राहकों के सामने दो विकल्प बचते हैं। वे अपनी ईएमआई बढ़वा सकते हैं या कर्ज भुगतान अवधि। हालांकि, बैंकिंग विशेषज्ञों का मानना है कि ब्याज के अनावश्यक बोझ से बचने के लिए ग्राहकों को बढ़ी ईएमआई का विकल्प ही चुनना चाहिए। कर्ज अवधि बढ़वाना आखिरी विकल्प होना चाहिए।

अगर किसी ग्राहक ने मई, 2022 से पहले 7 फीसदी की ब्याज दर पर 15 साल (180 महीने) के लिए 50 लाख रुपये का लोन लिया था तो उसे हर महीने 44,941 रुपये की ईएमआई भरनी पड़ रही थी। अब ब्याज दर बढ़कर 9.50 फीसदी होने पर उसे 52,211 रुपये की मासिक किस्त चुकानी पड़ रही है। यानी हर माह उसकी ईएमआई 7,270 रुपये बढ़ गई है। वहीं, पूरी कर्ज अवधि में उसे ब्याज के रूप में कुल 43.44 लाख रुपये चुकाने होंगे।

ब्याज दर बढ़ने के बाद अब अगर कोई ग्राहक मासिक किस्त की जगह कर्ज अवधि बढ़ाने का विकल्प चुनता है और हर महीने 44,941 रुपये की ही किस्त भरना चाहता है तो उसकी कर्ज अवधि 180 महीने से बढ़कर 270 महीने पहुंच जाएगी। यानी उसकी कर्ज अवधि 7 साल बढ़ जाएगी। इस दौरान उसे 71.30 लाख रुपये का ब्याज भरना होगा, जबकि मई, 2022 में रेपो दर बढ़ने से पहले ब्याज की यह रकम 30.89 लाख रुपये बन रही थी।

आखिरी विकल्प हो तभी बढ़वाएं अवधि

ब्याज दरें बढ़ने के साथ ग्राहकों पर ईएमआई का बोझ बढ़ता है। आमतौर पर बैंक ग्राहकों को कर्ज अवधि बढ़ाने का विकल्प देते हैं। इसका तत्काल प्रभाव तो नहीं दिखता, लेकिन कर्ज भुगतान की अवधि बढ़ने से ब्याज काफी बढ़ जाता है। इसलिए, बढ़ी ईएमआई चुकाने में सक्षम हों तो अवधि न बढ़वाएं। आखिरी विकल्प होने पर ही कर्ज अवधि बढ़वाने का विकल्प चुनें।