नई दिल्ली । कालकाजी मंदिर के पुनर्विकास और वहां आने वाले श्रद्धालुओं की सुरक्षा को देखते हुए कब्जा करने वालों को हटाने के लिए दिल्ली हाई कोर्ट ने कई अहम निर्देश दिए हैं। न्यायमूर्ति प्रतिबा एम सिंह की पीठ ने दिल्ली विकास प्राधिकरण (डीडीए), दिल्ली शहरी आश्रय सुधार बोर्ड (डूसिब) और दक्षिणी दिल्ली नगर निगम (एसडीएमसी) को मंदिर परिसर में धर्मशाला, झुग्गी के कब्जेदारों और परिवारों की संख्या की सूची दस मार्च तक तैयार करने का निर्देश दिया।कालकाजी मंदिर के विभिन्न मुद्दों को लेकर दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए पीठ ने डीडीए उपाध्यक्ष, डूसिब के मुख्य कार्यकारी अधिकारी, एसडीएमसी आयुक्त और दक्षिण-पूर्वी दिल्ली के डीसीपी को 11 मार्च को एक संयुक्त बैठक करने को कहा है। इसके बाद 14 मार्च को रिपोर्ट पेश कर बताने को कहा कि किस तरह से मंदिर परिसर को पूरी तरह से खाली कराया जा सकता है। रिपोर्ट में यह बताना होगा कि क्या झुग्गी वालों को आश्रय प्रदान किया जा सकता है, ताकि कालकाजी मंदिर परिसर में पुनर्विकास शुरू हो सके। इस मामले में अगली सुनवाई 15 मार्च को होगी और इसमें डीडीए, डूसिब, एसडीएमसी और डीसीपी को वीडियो कान्फ्रें¨सग के माध्यम से शामिल होना होगा। पीठ ने कहा कि अदालत में पेश किए गए पावर प्वाइंट प्रजेंटेशन (पीपीटी) पर सभी पक्षों को अगली सुनवाई पर सुना जाएगा। पीपीटी में बताया कि पुनर्विकास योजना के तहत डीडीए और एसडीएमसी की भूमि पर किस तरह से अस्थायी दुकानों का निर्माण किया जाएगा। वर्तमान में उक्त जमीन का इस्तेमाल पार्किंग और अन्य कार्यो के लिए किया जा रहा है। निर्माण का खर्च दुकानदार को देना होगा। कब्जा मिलने के बाद दुकानदारों को अदालत की ओर से निर्धारित तहबाजारी देनी होगी।